*अमूल्य रतन* 28
अव्यक्त मुरली दिनांक: 08 मई 1969
शीर्षक: *मन्सा, वाचा, कर्मणा को ठीक करने की युक्ति*

*मन्सा वाचा कर्मणा तीनों को ठीक करने के लिए*

मन्सा के लिए है *निराकारी।*
वाचा के लिए है *निरंहकारी।*
कर्मणा के लिए है *निर्विकारी।*
यह तीन बातें अगर याद रखो तो मन्सा, वाचा, कर्मणा तीनों ही बहुत अच्छे रहेंगे।

जितना निराकारी स्थिति में रहेंगे उतना ही निरंहकारी और निर्विकारी भी रहेंगे। विकार की कोई बदबू भी नहीं रहेगी।