*अमूल्य रतन* 29‌6
अव्यक्त मुरली दिनांक: *06 August 1970*
शीर्षक: *बंधनमुक्त आत्मा की निशानी*

*चेक करो*

01. इस स्थूल देह में जब चाहे तब प्रवेश करें और जब चाहे तब न्यारे हो जाए। यह अभ्यास है?

02. रचयिता, जब चाहे तब रचना का आधार ले और जब चाहे तब रचना का आधार छोड़ दे, ऐसे रचयिता बने हो?

*इसमें कितना समय लगता है? सदैव एक सेकंड या कभी कितना कभी कितना?*
इससे _सिद्ध है कि अभी सर्व बंधनों से मुक्त नहीं हुए हो।_

*जितना बंधनमुक्त होंगे उतना ही योगयुक्त होंगे और जितना योगयुक्त होंगे उतना ही जीवनमुक्त में ऊंच पद की प्राप्ति होगी।*

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*