*अमूल्य रतन* 36
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969
शीर्षक: *जादू मंत्र का दर्पण*

दूर होते हुए भी हर बच्चा यथा योग्य यथा शक्ति अपने स्नेह से बापदादा के नयनों में समाया हुआ है इसलिए नूरे रत्न कहते हैं।

*समय की सूचना*

साकार में समय प्रति समय बच्चों को यह सूचना तो मिलती ही रही है कि *ऐसा समय आएगा जो सिर्फ दूर से ही मुलाकात हो सकेगी।*

सभी के दिल होती है और बापदादा की भी दिल होती है लेकिन वह समय अब बदल रहा है *समय के साथ वह मिलन का सौभाग्य भी अब नहीं रहा है।*

इसलिए अब अव्यक्त रूप से ही सभी से मुलाकात कर रहे हैं।