*अमूल्य रतन* 51
अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 मई 1969
शीर्षक: *संपूर्ण स्नेही की परख*
*संपूर्ण स्नेही की निशानी अथवा परख*
1. जिसके साथ स्नेह होता है सूरत में उसी स्नेही की सूरत देखने में आती है।
2. नयनों में वही नूर दिखता है।
3. मुख से भी स्नेह के बोल निकलते हैं।
4. हर चलन से स्नेह का चित्र देखने में आएगा।
फाइनल पेपर की रिजल्ट/ *फाइनल स्टेज – स्नेही स्वरूप बनना।*
*बच्चों द्वारा बाप का साक्षात्कार कराने के लिए*
जब *बच्चों और बाप के संस्कार समान हो जायेंगे* और एक-एक में बाप को देखेंगे तब बाप का साक्षात्कार होगा।