*अमूल्य रतन* 58
अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969
शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य*

*पुरुषार्थ में शक्ति भरने के लिए*

01. जितना शक्ति रूप में स्थित होंगे उतना पुरुषार्थ भी शक्तिशाली होगा।
02. सवेरे उठते ही पुरुषार्थ में शक्ति भरने की कोई ना कोई पॉइंट विशेष रूप से बुद्धि में रखो।

*साधारण व विशेष पुरुषार्थ*

अभी विशेष पुरुषार्थ करने की आवश्यकता है। *साधारण पुरुषार्थ करने के दिन अभी बीत रहे हैं।*

विशेष पुरुषार्थ करने का लक्ष्य रख आगे बढ़ना है। अगर *पुरुषार्थ साधारण ही रहा और परीक्षाएं कड़ी होगी तो…..*

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