*अमूल्य रतन* 273 संपूर्ण शब्द को कितना विशाल रूप से धारण किया है चेक करो – *सर्व समर्पण के लक्ष्य से संपूर्ण* बने? जितना समर्पण उतना संपूर्ण। *समर्पण में चार बातें* / *समर्पण शब्द का विशाल रहस्य* 01. अपना हर संकल्प समर्पण, जो _*अविनाशी संपत्ति सुख, शांति, पवित्रता, प्रेम आनंद की प्राप्ति होती है जन्मसिद्ध अधिकार के नाते उसको भी और आत्माओं की सेवा में समर्पण करना।*_ 04. संबंध और संपत्ति जो है वह भी समर्पण। लौकिक का समर्पण करना सहज है लेकिन जो ईश्वरीय प्राप्ति होती है वह भी समर्पण करना अर्थात् महादानी बनना और शुभचिंतक बनना यह नंबरवार होता है। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |