*अमूल्य रतन* 272
अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 June 1970*
शीर्षक: *समर्पण का विशाल रूप*

*संपूर्ण राज्य के अधिकारी बनने के लिए*

जितना समय अपने को *सफलता मूर्त* बनाएंगे उतना ही समय वहां संपूर्ण राज्य के अधिकारी बनेंगे।
जो बहुत समय से *संपूर्ण बनने के पुरुषार्थ में मग्न* रहते हैं वही संपूर्ण समय राज्य के अधिकारी बनते हैं।

*संगम समय बच्चों के चार मूर्त*

01. ज्ञान मूर्त।
02. गुण मूर्त।
03. दान मूर्त और
04. संपूर्ण सफलता मूर्त।

*अपनी मूर्त में सर्व बातों को धारण करने से*

01. भविष्य राज्य भाग्य।
02. द्वापर में जो आप की जड़ मूर्तियां बनेंगी वह भी इस संगम की मूर्ति के प्रमाण बनेंगी।

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