*अमूल्य रतन* 111
अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969
शीर्षक: *पूरे कोर्स का सार – कथनी करनी एक करो*

*कोर्स का सार*

कहने और करने में अंतर नहीं हो।
जो भी सोचते हो अथवा दुनिया को जो भी कहते हो वह करके दिखाना है।

*अब जो सर्विस रही हुई है वह कहने से नहीं होगी लेकिन अपनी करने से होगी।*

*कर्मातीत अवस्था जल्दी से जल्दी पाने के लिए*

_कथनी, करनी और रहनी तीनों एक हो_ तब कर्मातीत अवस्था पा सकेंगे।

हम सर्वशक्तिमान की संतान है यह कहकर कमज़ोरी की बात क्यों करते हो?

उल्हनों को खत्म करने से अल्लाह (ऊंच) बन जाएंगे।