*अमूल्य रतन* 112
अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969

*दैवी परिवार के अंदर सबसे खौफनाक मनुष्य*

दैवी परिवार के अंदर सबसे खौफनाक, नुकसान कारक वह है *जो अंदर एक और बाहर से दूसरा रूप रखता है।* _वह परनिंदक से भी ज्यादा खौफनाक है_ क्योंकि वह कोई के नज़दीक नहीं आ सकता, स्नेही नहीं बन सकता, उनसे सब दूर रहने की कोशिश करेंगे।

*सर्विसएबल अर्थात्*

जो सर्विसएबल है उनका *हर संकल्प, हर शब्द, हर कर्म सर्विस ही करेगा।*
भाषण करना, किसी को समझाना *सिर्फ यही सर्विस नहीं है।*
*मन्सा-वाचा-कर्मणा तीनों रूपों से बेहद की सर्विस* हो इसको कहा जाता है सर्विसएबल।

अपने को चेक करना हमारी चलन डिससर्विस वाली तो नहीं है?