*अमूल्य रतन* 117
अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969

*समय की चेतावनी*

यह ध्यान रखो कि आपके संग का रंग अन्य पर इतना तो अविनाशी रहे जो कि कभी भी वह उतर नहीं सके।

पहले था सिर्फ चलने का समय। फिर दौड़ने का समय भी आया। *अभी तो है जम्प का समय।* _अगर दौड़कर पहुंचने की कोशिश करेंगे तो टू लेट हो जाएंगे।_

*एकरस अवस्था में रहने के लिए*

स्नेही और सर्विसेबल बनना सिर्फ इसी शुद्ध संकल्प में रहना है।

निश्चयबुद्धि, नष्टोमोहा और सर्विसएबल त्रिमूर्ति छाप लगानी है।

*औरों को अपने से भी ऊंच बनना यह भी अपनी ऊंचाई है।*

_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*